सामाजिक समरसता के संवाहक संत रविदास
Keywords:
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Abstract
संत रविदास उत्तर भारत के 15वीं से 16वीं शताब्दी के बीच भक्ति आंदोलन के एक कवि, विचारक, दार्शनिक, समाज सुधारक एवं संत शिरोमणि थे। गुरु रविदास कबीर के समसामयिक थे। भक्त रविदास जी के समय में जातिगत भेदभाव चरम सीमा पर था। समाज में व्याप्त रूढ़ियों, अंधविश्वासों एवं भेदभाव के खिलाफ रविदास जी जन जागरण का अभियान चलाया। धार्मिक कट्टरता का जबर्दस्त विरोध किया तथा भक्ति एवं सेवा के सहज एवं सरल स्वरूप को अपनाने का संदेश दिया। धार्मिक भावनाओं के आधार पर प्रचलित रूढ़ियों को दूर करने के लिए उन्होंने "मन चंगा तो कठौती में गंगा" जैसी सूक्तियों के आधार पर कांति का बिगुल फूंका। समाज व्याप्त असमानता को दूर करने के लिए वे निरंतर प्रयासरत रहे। उन्हें सामाजिक समरसता का अग्रदूत कहा जाता है। आज राष्ट्र के सम्मुख व्याप्त समस्याओं के समाधान में संत रविदास के बताए हुए मार्ग अत्यन्त कारगर साबित होंगे।
Published
2020-04-04
Section
Research Article
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